Sunday 24 April 2022

मना लेना

तुम उससे 
बात करने को
कुछ कहकर मना लेना,
मेरी कविता ही
अपने शब्द मे
पढ़कर सुना देना,

कुछ अखबार के चर्चों से
उसको मन बना लेना,
सरकार की बातों से
कोई तह सजा लेना,

कुछ पूछ लेना की 
पढ़ती आजकल क्या है?
Election कौन लड़ता है
लिखती आजकल क्या है?

कोई कविता जो उसकी हो
तो मुझको भेज देना तुम,
मै पढ़ता हूं बहुत कुछ अब
उससे मैसेज देना तुम,

मै “रोना” छोड़ चुका हूं अब
पते की बात करता हूं,
पंजाब को जीत आया हूं
मै अब गुजरात चलता हूं,
मुनासिब है नहीं की अब
कव्वाली इश्क की गाउं,
बसंती रंग लिया चोला
मै डांडी मार्च करता हूं,

पुरानी बात को भूले
भगत–बिस्मिल सरीखे हम,
बहुत–से पेट भूखे हैं
दिलों के हाल भूलें हम,
यहां मेहमान दो पल के
मुसाफिर बन के आए हैं,
जो जीवन छोड़ जाते हैं
कहां फिर रोक पाए हैं?😔

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...